एक बार दगडियो, मैके भी दिन दिन की बारात माँ
जाणा कु मौका मिली
चल दगडियो का संग मन प्रसन्न
मुखुडी को रंग तब खिली
झटपट हवे गे वरनारायण तैयार
पैरी वें सूट बूट आर टांगी कमर माँ
तलवार
सड़की माँ गाड़ी थाई खड़ी
मारनी छाई होरण
ढोल दमौं मसकबिन संग बाजणा था
रणसिंघा-तोरण
बारात पहुची सड़की माँ सबुन
अपनी सीट खुजाई
वरनारायण कु मामा आर दही की
परोठी घर छुटी गयाई
चली ग्ये बारात
डांडी-कंठियो माँ होण च गाड़ी कु सुन्स्याट
सभी पौणा बन्या चन दारू माँ
रंग मस्त करना चन खिक्लीयाट
बारात ज़रा रुकी बीच बाजार
दरौल्या पहुची ठेका माँ रुपया
लेकी हजार
चल पड़ी गाड़ी कुई छुटी गे होटल
माँ कुई छुटी धार पोर
दरोलिया दिदो कु त छोऊ बस बोतली पर
शोर
बारात पहुची चौक माँ होण लगी
गे स्वागत
कुई बैठी कुर्शी माँ कुई बैठी
दरी माँ अर कुई बैठी छत
जवान छोरा खोजना छन, गलेर नौनी
कुजणी कख हर्ची गे
बोलना छन की अब नि राये वू
रंगत जू पैली छाई
बैठी पौणा पंगत माँ खाई उन
काचू भात
दाल माँ लोण भिन्डी ह्व्वे गे
अब बोन क्या बात
कखी नि मिली पानी कखी नि मिली
सौंफ-मिश्री
हे हिमाला की हव्वे यु हम सब
संस्कार बिसरी
बामण दीदा न पढ़ी सटासट अपना मंत्र
ब्यौला का कंदुड़ माँ वैन बोली तब
यन्त्र
फेरा फेरी सरासर ब्यौली च रेस
लगाणी
ब्यौला दीदा पिछने रेगे, ब्यौली नी
छौंपी जाणी
पैटी बारात ब्यौली अब नी जयादा
रोंदी दिखेंदी
डोला माँ बैठी जे ब्यौली बव्वे
बुबा सबी मनौंदी
यन राइ दिदो मेरु एक दिनी की बारात
कु हाल
सब कुछ सरासर हौंदु यख यनु बणी गे
कुमॉऊ-गढ़वाल
No comments:
Post a Comment