काली
चाय मा गुडु कु ठुंगार
पूषा
का मैना चुला मा बांजा का अंगार
कोदा
की रोटी पयाजा कु साग
बोडा
कु हुक्का अर तार वाली साज
चैता
का काफल भादों की मुंगरी
जेठा
की रोपणी अर टिहरी की सिंगोरी
पुषों
कु घाम अषाढ़ मा पाक्या आम
हिमाला
कु हिंवाल जख छन पवित्र चार धाम
असुज का
मैना की धन की कटाई
बैसाख का
मैना पूंगाडो मा जुताई
बल्दू का
खंकार गौडियो कु राम्णु
घट मा
जैकर रात भरी जगाणु
डाँडो
मा बाँझ-बुरांश अर गाडियों घुन्ग्याट
डाँडियों
कु बथऔं गाड--गदरो कु सुन्सेयाट
सौंण
भादो की बरखा, बस्काल की कुरेडी
घी-दूध
की परोठी अर छांच की परेडी
हिमालय
का हिवाँल कतिकै की बगवाल
भैजी
छ कश्मीर का बॉर्डर बौजी रंदी जग्वाल
चैता
का मैना का कौथिग और मेला
बेडू-
तिम्लौ कु चोप अर टेंटी कु मेला
ब्योऊ मा
कु हुडदंग दगड़यो कु संग
मस्क्बजा
की बीन दगडा मा रणसिंग
दासा कु
ढोल दमइया कु दमोऊ
कन भालू
लगदु मेरु रंगीलो गढ़वाल-छबीलो कुमोऊ
बुलाणी
च डांडी कांठी मन मा उठी ग्ये उलार
आवा
अपणु मुलुक छ बुलौणु हवे जावा तुम भी तैयार
रचियेता:
विजय सिंह बुटोला
25-10-2008
No comments:
Post a Comment