उत्तराखंड के चार धाम (गढ़वाली भाषा में एक निबंध)

प्रिय उत्तराखंडी मित्रो, सादर प्रणाम

मैं यख उत्तराखंड का चार धाम यात्रा का बारा मा एक निबंध लिख्णु छोऊ आप सभी जाणदा छन की हमारा उत्तराखंड मा मई बीटी चार धम यात्रा कु शुभारम्भ ह्वे जांदु, यन पवित्र यात्रा का बार मा मैं अप्नु यू छोटू सी प्रयास आपका सामणी अपनी पहाड़ी भाषा मा प्रस्तुत कर्णु छोउं

चार धाम यात्रा की उत्त्पत्ति का बारा मा यन त कुई निश्चित मान्यता या साक्ष्य उपलब्ध नि च परन्तु चार धाम यात्रा भारत का चार धार्मिक स्थलों कु समूह च येका अंतर्गत भारत की चार दिशाओ का वो सब्भि मंदिर ओऊँदा इ मंदिर छन- पूरी, रामेवश्रम, द्वारका और श्री बद्रीनाथ यू मंदिरों कु निर्माण ८ वीं शताब्दी मां आदि गुरु शंकराचार्य जी न करवाई कें एक सूत्र मा पिरोई थोऊ लेकिन यूँ सभी मंदिरू मा श्रीबद्रिनाथ जी कु अधिक महत्व च येका दगडी उत्तराखंड मा और ३ मंदिर भी छन , जन की श्रीकेदारनाथजी , गंगोत्री जी अऔर् यमनोत्री जी इ सभी मंदिर हिमालय पर स्थित चार दाम का समूह छन यू चारों मंदिरों कु विवरण ये प्रकार सी छ

श्री बद्रीनाथ मंदिर- यू मंदिर उत्तराखंड का चमोली जिला मा समुद्र तल सी १०२७६ फीट (३१३३ मीटर ) की ऊंचाई पर अलकनंदा नदी का तट पर नर और नारायण पर्वतों का मध्य मा स्थित छा यां मान्यता छ की भगवान् श्री लक्ष्मीनारायण जी याख विराजमान छन देवी लक्ष्मी न भगवान् थीं चाय प्रदान करण का वास्ता याख बेर (बदरी ) वृक्ष कु रूप लीनी थोऊ तब सी इ जगह की नोउ बद्रीनाथ पड़ी जी थोऊ आज जू मंदिर हम लोग देख्दा छन व्येकू निर्माण १८ वी शताब्दी मा गढ़वाल का राजा द्वारा शंकु शैली मा कराइ गयी थोऊ ये मंदिर की ऊंचाई १५ मीटर छ, शिखर पर गुम्बज व यख १५ मूर्तिया छन मंदिर का गर्भ गृह मा विष्णु भगवान् दागडी नर और नारायण ध्यान अवस्था मा विराजमान छन यन मान्यु जंदु की येकू निर्माण वैद्क काल मा हवाई थोऊ परन्तु बाद मा पुनुरुधार शंकराचार्य जी न ८ वी शताब्दी मा करवाई थोऊ मद्निर का तीन भाग छन - गर्भ गृह , दर्शन मंडप और सभा गृह वेदों और ग्रंथो में यन वर्णन छ की ----"स्वर्ग और पृथ्वी पर अनेक पवित्र स्थान छन, लेकिन श्री बद्रीनाथ यूँ सभी मा सर्वोपरि छ

श्री केदारनाथ जी- यू मंदिर उत्तराखंड का चमोली जिला मा समुद्र तल सी 1982 मीटर की ऊंचाई पर मंदाकनी नदी का तट पर भगवान शिव जी का निवास का रूप मा स्थित छा यू मंदिर उत्तराखंड कु सबसे विशाल मंदिरों मा एक छा जू भूरे कटवा पथरो के विशाल शिलाखान्डो को जोड़ कर ६ फुट ऊँचा चबूतरा पर बनायु च ये मंदिर कु निर्माण भी १२-१३ वी शताब्दी मा करवाई गई थोऊ मंदिर का गर्भ गृह मा अर्धा का पास चार स्तंभ छन एक सभा मंडप भी छ एकी छत चार विशाल स्तंभों पर टिकी च यख विभिन्न प्रकार का देवी देवताओ की मूर्ति च मंदिर का पिछाडी पथ्थरो कु ढेर च जैक पीछाडी शंकराचार्य जी की समाधि च श्रद्धालु यख गंगोरती और यम्नोरती बीटी जल लौंदा और श्रीकेदारेश्वर पर जलाभिशेख करदा छन यात्रा कु मार्ग ये प्रकार सी छा ----------हरिद्वार-ऋषिकेश-चम्बा -धरासु -यमनोत्री-उत्तरकाशी-गंगोत्री-त्रियुगिनारायण-गौरिकुंद-केदारनाथ यू मार्ग परम्परात हिन्दू धर्म मा ह्वान वाली पवित्र परिकर्मा का समान छा

श्री गंगोत्री- गंगोत्री उत्तराखंड का उत्तरकाशी जिला मा ९९८० फीट (३१४० मी. ) की ऊंचाई पर भागीरथी नदी का तट पर बस्यु पवित्र देवी मंदिर च जू की हिमालया/उत्तराखंड का चार धामो मा एक धाम छा गंगोत्री मा भागीरथी नदी थै गंगा नाम सी भी जान्यु जंदु पौराणिक कथाओ का अनुसार राजा भागीरथ तपस्या करिकैं गंगा माता थें धरती पर लाई था यख वासुकी ताल, गुग्गल कुण्ड, भीम गुफा, भीम्पुल, सरस्वती उद्गम, भीम्शिला, व चैरव नाथ जी का मंदिर है उत्तराखंड म भैरोनाथ क्षेत्रपाल देवता व भूमि देव के रूप में प्रचलित और महत्वपूर्ण छन गंगोत्री भारत का पवित्र और अध्यात्मिक रूप सि महत्वपूर्ण नदी गंगा कु उद्गम स्थल भी च ई गंगा नदी गौमुख बटी निकल्दी छा यन मान्यु जंदु की १८ वी शताब्दी मा गोरखा कैप्टन अमर सिंह थापा न शंकराचार्य जी का सम्मान मा ये मंदिर कु निर्माण करवाई थोऊ बाद मा राजा माधो सिंह न १९३५ मा ये मंदिर कु पुनुरुधार करवाई थोऊ मंदिर सफेद दुंगो कु बन्यु च ,मंदिर की ऊंचाई २० फीट च मंदिर का नजदीक भागीरथी शिला भी च जै पर बैठी कें राजा भागीरथ ने तपस्या करी थै ये मंदिर मा देवी गंगा का अलावा देवी यमुना ,भगवान् शिव , देवी सरस्वती, अन्नान्पुर्ना और महागौरी की पूजा विशेष रूप सि होदी च

श्री यमनोत्री- यमनोत्री धाम उत्तराखंड का उत्तरकाशी जिला मा पशिचिमी किनारा पर बांदरपूँछ पर्वतमाला ,३२९१ मीटर की ऊंचाई पर स्थित च पौराणिक कथाओ का अनुसार यमुना सूर्य चाग्वान की बेटी थै और यम् उंकू पुत्र थोऊ ये वजह सी ये मंदिर कु नाम यम्य्नोत्री पड़ी यमुना कु उदगम स्थल यमुनोत्री सी एक किलोमीटर अगने ४४२१ मीटर की ऊंचाई पर यमुनोत्री ग्लेशियर पर स्थित च परंपरागत रूप सी यमुनोत्री चार धाम कु पहलू पड़ाव च हनुमान चट्टी सी १३ किलोमीटर उकाल चड़ना का बाद यमुनोत्री धाम औंदु यमुनोत्री मा कई ताता पाणी का कुंद छन, यू सभी कुंडू मा सूर्य कुंद परसिद्ध च श्रद्धालु ये कुंड मा चौळ (चावल) और आलू कपडा मा बंधी कै छोड़ देंदा न , बाद म पक्य्नु भात श्रद्धालु प्रशाद का रूप मा आपण घर ली जांदा सूर्य कुंड का पास मा एक शिला च जैकैं दिव्या शिला का नाम सी जन्यु जंदु ,सभी तीर्थयात्री यमुना जी की पूजा करण सी पैली इ शिला की पूजा करदा छन यमुनोत्री का पुजारी यख पूजा कन खर्सला गौं बाटी अंदा छन यमुनोत्री कु मंदिर नवम्बर सी मई महीना तक ख़राब मौसम का वजह सी बंद रंदु

मिथें पुरु विश्वास च की अपणी पहाड़ी भाषा मा उत्तराखंड का पवित्र तीर्थस्थल का बार मा मेरी यू छोटू सी प्रयास आप थै पसंद आलू यदि ये निबंध मा कुछ आवश्यक जानकारी छुटी गे होली त आप मीथें क्षमा करया

प्रणाम

विजय सिंह बुटोला

Comments

poemes said…
Hello from france

I have a very short poem already translated in 290 languages, even in some rares dead languages (maya, copte, hieroglyphs, arapaho, mahican etc) made by researchers

For 50% of the translations i have also real natives voices who say them, most of time made by radios, sometimes big internationals radios

I should be really happy to get a Garhwali language translation of my short poem.

Because of an important animation, i shall prefer that you discover it on my website here
http://pouemes.free.fr/poesie/poem-translations.htm

I really hope that you could like my project and would help for this very short translation with perhaps the audio of a native voice who say it.

waiting for your news

regards
Jean-Yves
pouemes@free.fr
http://www.facebook.com/poete.bellon

the english translation of my poem, is not far french, so can be usefull

Your image in the mirror,
Is my most beautiful poem,
But, be quick it disappears,
It's my last "I love you"!

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