मेरी जन्मभूमि
मेरी जन्मभूमि
है जन्मभूमि स्वर्ग से भी महान
हम करे न्योछावर इसपर तन ,मन और प्राण
इसके आस्तित्व से ही है हमारी पहचान
बढे मिलकर हम यही हो बस मन में अरमान
हो संगठित और समर्पित इसे संवारे
निस्वार्थभावः कर्म कर इसे निखारे
चिर-यौवना रहे सदा ये धारा ऐसा कुछ विचारे
हमारी यह धारा हमे निस दिन यही पुकारे
हे जन्मभूमि तुझे हम सर्वस्व अर्पण करे
अभिलाषा है हमारी सर्व कर्म समर्पण करे
है हमारे रक्त मे समाहित तेरी ही महक
तेरे लिए कर्म करू ,कम है जो प्राण भी तरु
इस धारा के प्रताप पाई हमने जग मे पहचान
निष्काम भाव से कर्म कर दे हम अपना योगदान
इसकी माटी मे जन्मे बना हमारा आधार
बिसराये इस धारा को यही है समय की पुकार
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